Shri Devi ji Ki Aarti: नवरात्रि के दिनों और दुर्गा पूजा में माँ दुर्गा के 9 रूपों की पूजा बड़े ही धूमधाम से की जाती है। जिसमें माता के विभिन्न भजन, आरती व चालीसा भी गाई जाती हैं। इनमें देवी जी की आरती जगजननी जय जय आरती भी माँ दुर्गा को समर्पित है। इसको गाकर भी भक्तजन माँ दुर्गा की पूजा व आराधना करते हैं। नीचे श्री देवी जी की आरती के लिरिक्स हिन्दी में दिये गए हैं, जिन्हें पढ़कर आप माता की स्तुति बड़ी ही आसानी से कर सकते हैं।
श्री देवी जी की आरती
जगजननी जय! जय!! माँ! जगजननी जय! जय!!
भयहारिणि, भवतारिणि, माँ भवभामिनि जय! जय ॥
जय जगजननी जय जय..॥
तू ही सत-चित-सुखमय, शुद्ध ब्रह्मरूपा ।
सत्य सनातन सुन्दर, पर-शिव सुर-भूपा ॥
जय जगजननी जय जय..॥
आदि अनादि अनामय, अविचल अविनाशी ।
अमल अनन्त अगोचर, अज आनँदराशी ॥
जय जगजननी जय जय..॥
अविकारी, अघहारी, अकल, कलाधारी ।
कर्त्ता विधि, भर्त्ता हरि, हर सँहारकारी ॥
जय जगजननी जय जय..॥
तू विधिवधू, रमा, तू उमा, महामाया ।
मूल प्रकृति विद्या तू, तू जननी, जाया ॥
जय जगजननी जय जय..॥
राम, कृष्ण तू, सीता, व्रजरानी राधा ।
तू वांछाकल्पद्रुम, हारिणि सब बाधा ॥
जय जगजननी जय जय..॥
दश विद्या, नव दुर्गा, नानाशस्त्रकरा ।
अष्टमातृका, योगिनि, नव नव रूप धरा ॥
जय जगजननी जय जय..॥
तू परधामनिवासिनि, महाविलासिनि तू ।
तू ही श्मशानविहारिणि, ताण्डवलासिनि तू ॥
जय जगजननी जय जय..॥
सुर-मुनि-मोहिनि सौम्या, तू शोभाऽऽधारा ।
विवसन विकट-सरुपा, प्रलयमयी धारा ॥
जय जगजननी जय जय..॥
तू ही स्नेह-सुधामयि, तू अति गरलमना ।
रत्नविभूषित तू ही, तू ही अस्थि-तना ॥
जय जगजननी जय जय..॥
मूलाधारनिवासिनि, इह-पर-सिद्धिप्रदे ।
कालातीता काली, कमला तू वरदे ॥
जय जगजननी जय जय..॥
शक्ति शक्तिधर तू ही, नित्य अभेदमयी ।
भेदप्रदर्शिनि वाणी, विमले! वेदत्रयी ॥
जय जगजननी जय जय..॥
हम अति दीन दुखी माँ!, विपत-जाल घेरे ।
हैं कपूत अति कपटी, पर बालक तेरे ॥
जय जगजननी जय जय..॥
निज स्वभाववश जननी!, दयादृष्टि कीजै ।
करुणा कर करुणामयि! चरण-शरण दीजै ॥
जय जगजननी जय जय..॥
जगजननी जय! जय!! माँ! जगजननी जय! जय!!
भयहारिणि, भवतारिणि, माँ भवभामिनि जय! जय ॥
जय जगजननी जय जय..॥
Shri Devi Ji Ki Aartii Vedio

Author: Shivam Verma
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