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Chandauli News: गेहूं बेचने जा रहे किसानों को यूपी बिहार बार्डर पर किया जा रहा परेशान, पूर्व विधायक ने दी सख्त चेतावनी

Farmers going to sell wheat are being harassed
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Chandauli News: यूपी-बिहार सीमा पर इन दिनों किसानों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। चंदौली जिले के सैकड़ों किसान अपने गेहूं को अधिक दाम पर बिहार में बेचने जा रहे हैं, लेकिन रास्ते में उन्हें खाद्य विभाग की टीमों द्वारा रोका जा रहा है। किसानों का आरोप है कि उन्हें परेशान किया जा रहा है, जबकि व्यापारियों की गाड़ियों को पैसा लेकर छोड़ा जा रहा है। इस पूरे मामले को लेकर समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने प्रशासन को सख्त चेतावनी दी है।

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दरअसल, इस समय यूपी के सरकारी खरीद केंद्रों पर गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने के बावजूद कई केंद्रों पर खरीद नहीं हो रही, जिससे किसान मायूस हैं। ऐसे में चंदौली और आसपास के किसान अपने गेहूं को बिहार ले जाकर अधिक मूल्य पर बेचने की कोशिश कर रहे हैं। बिहार में गेहूं की मांग अधिक होने के कारण वहां की मंडियों में बेहतर दाम मिल रहे हैं।

लेकिन यूपी-बिहार सीमा पर खाद्य विभाग की टीमें चौबीसों घंटे मुस्तैद हैं और किसानों के ट्रैक्टरों को रोक रही हैं। किसानों का कहना है कि यह कार्रवाई मनमानी है और उन्हें बार-बार दस्तावेज दिखाने के बाद भी बेवजह रोका जाता है। आरोप यह भी है कि कुछ अधिकारियों द्वारा व्यापारियों से पैसे लेकर उनकी गाड़ियों को जाने दिया जाता है, जबकि असली परेशानी छोटे किसानों को उठानी पड़ रही है।

इस मामले की जानकारी मिलते ही समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू खुद नौबतपुर बॉर्डर पहुंचे। उन्होंने मौके पर खाद्य विभाग के अधिकारियों से बातचीत की और उन्हें कड़ी फटकार लगाई। पूर्व विधायक ने कहा, “अगर राजस्व बढ़ाना ही है तो शराब तस्करी की गाड़ियों को रोकिए जो दिन-रात धड़ल्ले से जा रही हैं। किसान को परेशान करना बंद करें वरना आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।”

पूर्व विधायक ने अपर जिलाधिकारी से फोन पर बात कर किसानों की पकड़ी गई गाड़ियों को तुरंत छुड़वाया। साथ ही उन्होंने किसानों से अपील की कि जब भी वे अपने गेहूं की गाड़ी बिहार भेजें, तो अपने खेत की खतौनी (जमीन के दस्तावेज) ट्रैक्टर चालक को जरूर दें ताकि कोई अधिकारी जांच कर सके और परेशानी से बचा जा सके।

गौरतलब है कि चंदौली जनपद के सरकारी गेहूं क्रय केंद्रों पर किसानों की भागीदारी कम हो गई है। कम मूल्य और अनियमित खरीद व्यवस्था के कारण किसान अब खुले बाजार या बिहार की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन विभागीय सख्ती से यह रास्ता भी अब मुश्किल हो रहा है।

Shivam Verma
Author: Shivam Verma

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