Jhansi News: मऊरानीपुर कस्बे में एक बार फिर चिटफंड घोटाले ने आम जनता की उम्मीदों को करारा झटका दिया है। ‘गोल्ड माइन’ नाम की चिटफंड कंपनी ने करीब दो हजार लोगों से लगभग चार करोड़ रुपये की रकम जमा कराई और अचानक फरार हो गई। यह घटना न सिर्फ स्थानीय निवेशकों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक बड़ी चेतावनी बनकर सामने आई है।
“रोजाना बचत योजना” में लगाया था भरोसा
गोल्ड माइन कंपनी का दफ्तर मऊरानीपुर के बस स्टैंड के पास स्थित था, जहां कंपनी ने रोजाना बचत योजना के नाम पर लोगों से पैसे जमा कराना शुरू किया। पीड़ितों के मुताबिक, कंपनी के मैनेजर आकाश गौहर, उनके पिता अनिल गौहर, बहन और भाई इस पूरे कारोबार को मिलकर चला रहे थे। निवेशकों को बड़े-बड़े रिटर्न का लालच देकर उनका विश्वास जीता गया।
कंपनी बंद, परिवार फरार
निवेशकों को तब झटका लगा जब उनकी योजना की अवधि पूरी होने पर वह पैसा वापस लेने पहुंचे, लेकिन कंपनी का दफ्तर बंद मिला। अब दफ्तर पर ताला लटका है और पूरा गौहर परिवार फरार बताया जा रहा है। जिन लोगों ने जिंदगी भर की जमापूंजी कंपनी में लगा दी थी, वे अब दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
पुलिस पर लापरवाही के आरोप
पीड़ितों का आरोप है कि जब उन्होंने पुलिस को घटना की जानकारी दी और लिखित शिकायत सौंपी, तो पुलिस ने आरोपी आकाश गौहर को थाने में कुछ देर बैठाने के बाद बिना किसी ठोस कार्रवाई के छोड़ दिया। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि उनके आवेदन को गंभीरता से नहीं लिया गया, यहां तक कि शिकायत पत्र कचरे में फेंक दिए गए।
पीड़ितों की व्यथा
पीड़ित राकेश प्रजापति ने आंसू भरी आंखों से कहा, “हमने रोज थोड़ा-थोड़ा करके अपनी मेहनत की कमाई जमा की थी, सोचकर कि कुछ सालों में कुछ राहत मिलेगी। अब सब लुट गया। पुलिस से भी कोई उम्मीद नहीं बची है।” वहीं महिला निवेशक सीमा देवी ने रोते हुए बताया, “मेरे बच्चों की पढ़ाई और घर का पूरा खर्च इसी पैसे पर निर्भर था। अब घर कैसे चलाऊं? हमें न्याय चाहिए।”
निवेशकों ने जिला प्रशासन और उच्च अधिकारियों से इस पूरे मामले की गहराई से जांच कराने और दोषियों को सख्त सजा दिलाने की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।

Author: Shivam Verma
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