Jhansi News: जनसुनवाई पोर्टल (आईजीआरएस) पर दर्ज एक गंभीर शिकायत के फर्जी निस्तारण का मामला सामने आने के बाद झाँसी पुलिस विभाग में खलबली मच गई है। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की प्रशासनिक अधिकारी डॉ. पुष्पा गौतम द्वारा 23 मार्च को की गई शिकायत के मामले में लापरवाही और फर्जीवाड़ा पाए जाने पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सुधा सिंह ने नवाबाद थाने के इंस्पेक्टर जितेन्द्र कुमार सिंह, विश्वविद्यालय चौकी प्रभारी आशीष दीक्षित और एक महिला सिपाही को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
क्या है पूरा मामला?
डॉ. पुष्पा गौतम ने 23 मार्च को जनसुनवाई पोर्टल पर विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षकों पर उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। यह शिकायत विश्वविद्यालय चौकी प्रभारी आशीष दीक्षित के पास स्थानांतरित हुई, जिन्होंने इसे कुलसचिव विनय कुमार सिंह के एक पत्र के आधार पर “आंतरिक जांच का मामला” बताते हुए निस्तारित कर दिया।
लेकिन इस निस्तारण के दौरान जो साक्ष्य पोर्टल पर अपलोड किए गए, वे संदेहास्पद और चौंकाने वाले थे। शिकायतकर्ता डॉ. गौतम की जगह किसी अन्य महिला की तस्वीर पोर्टल पर अपलोड कर दी गई, जो न केवल लापरवाही का संकेत है बल्कि एक संगठित फर्जीवाड़े की ओर इशारा करता है।
बिना पूछताछ के हुआ निस्तारण
डॉ. गौतम का कहना है कि पुलिस विभाग की ओर से उनसे इस मामले में कोई औपचारिक पूछताछ नहीं की गई। केवल एक बार फोन पर संपर्क की कोशिश जरूर हुई, लेकिन व्यक्तिगत रूप से उनसे संपर्क कर पक्ष नहीं लिया गया। इसके बावजूद शिकायत को बिना पूरी जांच के निपटा दिया गया, जो सवाल खड़े करता है कि पुलिस किस आधार पर शिकायतों का निस्तारण कर रही है।
जांच में सामने आया फर्जीवाड़ा
शुरुआत में मामले को “गलती से गलत फोटो अपलोड” होने का मामला बताया गया, लेकिन जब जांच को गहराई से किया गया तो स्पष्ट हुआ कि यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि एक सुनियोजित फर्जीवाड़ा था। जांच रिपोर्ट सामने आते ही एसएसपी सुधा सिंह ने देर रात बड़ी कार्रवाई करते हुए तीनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया।
एसएसपी सुधा सिंह ने मामले पर स्पष्ट और सख्त रुख अपनाते हुए कहा, “जनसुनवाई पोर्टल जनता की समस्याओं के समाधान का एक संवेदनशील मंच है। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही या फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी।”

Author: Shivam Verma
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