Lakhimpur News: महेशपुर वन रेंज के अंतर्गत आने वाले ग्राम अजान, इमलिया, घरथनिया, मूडाजवाहर और मूड़ा अस्सी के ग्रामीण इन दिनों गहरे भय के साये में जी रहे हैं। इसका कारण है — एक बाघिन, जो बीते कुछ महीनों से लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में हमला कर रही है। शनिवार को खेत में जुताई कर रहे किसान मुन्ना लाल पर बाघिन ने हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया, जिसके बाद पूरे क्षेत्र में दहशत फैल गई।
घटना के विरोध में ग्रामीणों ने गोला सिकंदराबाद मार्ग को जाम कर दिया। इसके बाद हरकत में आए वन विभाग ने सरायन नदी किनारे पिंजड़े, थर्मल कैमरे और मचान लगाकर बाघिन को पकड़ने की तैयारियाँ तेज कर दी हैं।
ट्रेंकुलाइज कर पकड़ने की तैयारी
वन विभाग के कर्मचारी अजान-इमलिया गांव के पास सरायन नदी किनारे गश्त कर रहे हैं और हर मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है। ट्रेंकुलाइज (बेहोश कर पकड़ने) एक्सपर्ट डॉ. दयाशंकर स्वयं सुबह और शाम प्रभावित इलाकों का निरीक्षण कर रहे हैं। वहीं डीएफओ संजय बिस्वाल ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बाघिन को ट्रेंकुलाइज करने के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक से अनुमति मांगी है।
वन विभाग ने सरायन नदी किनारे बाघिन की अधिकतम गतिविधियों वाले क्षेत्रों में ऊँचे मचान बनाए हैं। अधिकारियों का मानना है कि यदि ट्रेंकुलाइज की अनुमति मिलती है, तो मचान और लगातार निगरानी इस ऑपरेशन में कारगर साबित होंगे।
किसानों में डर से खेती-बाड़ी ठप
बाघिन की दहशत का सीधा असर गांव के किसानों पर पड़ा है। लोग खेतों की ओर जाने से डर रहे हैं, जिससे कृषि कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। कई किसानों का कहना है कि बीते साल सितंबर से नवंबर के बीच भी वन विभाग ने बाघिन को पकड़ने का प्रयास किया था। उस समय कानपुर चिड़ियाघर और पीलीभीत टाइगर रिजर्व से विशेषज्ञों को बुलाकर पिंजरे लगाए गए थे। थर्मल ड्रोन कैमरे उड़ाए गए, और यहां तक कि सुलोचना और डायना नाम की दो प्रशिक्षित हाथियों की भी मदद ली गई थी।
पिछले अभियान पर करीब 15 लाख रुपए खर्च होने के बावजूद वन विभाग बाघिन को पकड़ने में नाकाम रहा। तब से अब तक बाघिन कई पालतू मवेशियों को अपना निवाला बना चुकी है और कुछ ग्रामीणों को भी घायल कर चुकी है। यही कारण है कि ग्रामीण अब लगातार डर के साये में जी रहे हैं।

Author: Shivam Verma
Description