Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक बार फिर से सियासी तापमान गर्म हो गया है। हजरतगंज चौराहे पर भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के महामंत्री अमित त्रिपाठी द्वारा लगाए गए एक पोस्टर ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। इस पोस्टर में समाजवादी पार्टी (सपा) पर सीधे तौर पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया गया है। भाजपा नेता ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ-साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं आजम खान और मुलायम सिंह यादव पर भी निशाना साधा है।
पोस्टर में सपा को बताया गया ‘दलित विरोधी’
अमित त्रिपाठी द्वारा लगाए गए इस पोस्टर में सपा पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने लिखा है कि समाजवादी पार्टी के दिल में दलित विरोध छिपा हुआ है। पोस्टर में दावा किया गया है कि सपा सिर्फ सत्ता की भूखी पार्टी है, जो दलित हितों की अनदेखी करती रही है।
पोस्टर में सपा प्रमुख अखिलेश यादव को निशाने पर लेते हुए लिखा गया है कि वे सिर्फ वोटों के लिए PDA (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) की बात कर रहे हैं, जबकि असल में पार्टी का पुराना रिकॉर्ड दलितों के खिलाफ रहा है।
मुलायम सिंह और आजम खां पर भी लगाए आरोप
पोस्टर में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव पर भी आरोप लगाते हुए लिखा गया है कि वे अपने समय में सरकारी नौकरियों में SC-ST आरक्षण के विरोधी थे। वहीं, सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां को लेकर पोस्टर में उल्लेख किया गया है कि उन्होंने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को ‘भूमाफिया’ कहा था।
इसके साथ ही रामपुर की एक घटना का जिक्र करते हुए पोस्टर में पूछा गया है कि जब एक दलित की बारात पर दबंग यादवों ने हमला किया, तब समाजवादी पार्टी और उसके नेताओं ने चुप्पी क्यों साध ली?
चार मुख्य बिंदुओं में किया गया हमला
पोस्टर में भाजपा नेता ने चार प्रमुख बिंदुओं के आधार पर सपा को दलित विरोधी बताया है:
- अखिलेश यादव द्वारा PDA की बात सिर्फ वोट के लिए की जा रही है।
- मुलायम सिंह यादव द्वारा आरक्षण का विरोध।
- आजम खां द्वारा बाबा साहब पर की गई टिप्पणी।
- रामपुर की दलित बारात पर हमले के बाद सपा की चुप्पी।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ पोस्टर
यह पोस्टर लगने के बाद से हजरतगंज चौराहा चर्चा का केंद्र बन गया है। राहगीरों और स्थानीय लोगों की नजरें बार-बार इस पोस्टर पर जा रही हैं। वहीं, सोशल मीडिया पर भी यह पोस्टर तेजी से वायरल हो रहा है। कई लोग इसे राजनीतिक स्टंट बता रहे हैं तो कुछ इसे गंभीर आरोप मानकर बहस कर रहे हैं।

Author: Shivam Verma
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