Lucknow News: उत्तर प्रदेश की सियासत इन दिनों पोस्टरों की मार से झूल रही है। कभी ‘फर्क साफ है’ जैसे नारों से सत्ता पक्ष पर निशाना साधा जाता है, तो कभी ‘रक्षक बनाम भक्षक’ के जुमलों से सरकार को घेरा जाता है। अब एक बार फिर समाजवादी पार्टी (सपा) के लखनऊ स्थित मुख्यालय के बाहर विवादित पोस्टर लगाकर राजनीति को गर्माने का काम किया गया है।
शनिवार को लगे इस नए पोस्टर में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की बड़ी सी तस्वीर के साथ एक विवादित लाइन लिखी गई है – “ब्राह्मणों को सरकार बदलना आता है”। इसके साथ ही योगी आदित्यनाथ सरकार को निशाने पर लिया गया है।
महाराजगंज के सपा नेता ने लगाया पोस्टर
जानकारी के मुताबिक, इस पोस्टर को सपा के महाराजगंज जिले के नेता अमित चौबे ने लगवाया है। पोस्टर में पूर्व सांसद कुशल तिवारी की भी तस्वीर लगाई गई है। पोस्टर में लिखा गया है, “मठाधीश को हाता नहीं भाता है, ब्राह्मणों को सरकार बदलना आता है”। यह लाइन सीधे तौर पर प्रदेश की योगी सरकार पर तंज कसती नजर आ रही है, जिसमें संकेत दिया गया है कि ब्राह्मण समाज अब बदलाव के मूड में है।
इस पोस्टर को लेकर अब सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। भाजपा समर्थकों ने इसे जातिगत राजनीति फैलाने की कोशिश बताया है, वहीं सपा कार्यकर्ता इसे सामाजिक असंतुलन की अभिव्यक्ति करार दे रहे हैं।
पोस्टर वॉर का पुराना इतिहास
गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब सपा कार्यालय के बाहर ऐसा विवादित पोस्टर लगा हो। कुछ दिन पहले, 8 अप्रैल को, अमेठी से सपा कार्यकर्ता जयसिंह प्रताप यादव ने एक और पोस्टर लगवाया था जिसमें उन्होंने यूपी सरकार की बुलडोजर नीति पर तीखा हमला किया था।
उस पोस्टर में एक तरफ अंबेडकर नगर की घटना की तस्वीर थी, जिसमें एक बच्ची को किताबें लेकर भागते हुए दिखाया गया था, वहीं दूसरी तरफ अखिलेश यादव उसी बच्ची को बैग देते हुए दिखाई दे रहे थे। पोस्टर का संदेश साफ था – योगी सरकार भक्षक, और अखिलेश रक्षक।
राजनीतिक रणनीति या सामाजिक संदेश?
सवाल यही उठता है कि क्या ये पोस्टर सिर्फ सत्ता विरोध की रणनीति का हिस्सा हैं या समाज के भीतर उपज रहे असंतोष को उजागर करने की कोशिश? खासतौर पर ब्राह्मण समुदाय को लेकर जो पोस्टर लगाया गया है, उसमें स्पष्ट संकेत है कि सपा अब इस वर्ग को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण वोट बैंक लंबे समय से भाजपा के साथ रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस वर्ग की नाराजगी भी सामने आई है, जिसे भुनाने की कोशिश अब विपक्षी दल कर रहे हैं।

Author: Shivam Verma
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