Premanand Ji Maharaj: आज के समय में शायद ही ऐसा कोई होगा जो वृन्दावन वाले प्रेमानन्द महाराज जी को नहीं जानता होगा। क्यूंकी उनके वहाँ बड़े-बड़े सेलेब्रिटी जाया करते हैं, जिनके वीडियो अक्सर ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ करते हैं। साथ ही उनके प्रवचन के अन्य वीडियो भी लोगों के द्वारा बहुत ही पसंद किए जाते हैं।
उनके प्रवचन सुनके हम जान सकते हैं, कि प्रेमानन्द महाराज जी की बातें जीवन के हर पहलू को लेकर कितनी गहरी हैं। उनके हर प्रवचन में जीवन यात्रा के हर विषय और क्षेत्र में गहराई भरी बातें और सुझाव सुनकर भक्तगण मंत्र मुग्ध हो जाते हैं। इसलिए यहाँ हम आपके लिए महाराज जी के बेहतरीन उद्धरण प्रकाशित कर रहें हैं।
Premanand Ji Maharaj Quotes in Hindi
• सच्चा सुख आत्मा में है। मन को शांत रखने से ही सुख की प्राप्ति होती है। भगवान की भक्ति से ही मन शांत होता है।
• जो दूसरों को खुश रखता है वही सच्चा इंसान है।
• “जीवन जीने के लिए हमें कर्म करना चाहिए। कर्म करते समय हमें फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। कर्म का फल तो ईश्वर ही देता है।”
• कभी हार मत मानो, क्योंकि जीत हमेशा तुम्हारा इंतजार कर रही है।
• भक्ति ईश्वर प्राप्ति का साधन है।
• प्रेम जीवन का सार है। प्रेम के बिना जीवन अधूरा है।
• हमें ईश्वर से सच्चा प्रेम प्राप्त होता है। कोई व्यक्ति क्या कर सकता है, कोई भी व्यक्ति हमसे प्रेम नहीं कर सकता क्योंकि वह हमें जानता ही नहीं, तो फिर वह कैसे कर सकता है?
• यह मत सोचो कि कोई तुम्हें नहीं देख रहा है। जब तुम गलत काम करते हो, तो तुम्हारे अच्छे कर्म नष्ट हो जाते हैं। जब तुम्हारे अच्छे कर्म समाप्त हो जाते हैं, तो तुम्हारे वर्तमान पाप और पिछले पाप मिल जाते हैं, और तीनों लोकों में कोई भी तुम्हें नहीं बचा सकता।
• जो लोग सत्य के मार्ग पर चलते हैं, उनकी आलोचना और निंदा अवश्य होती है। इससे डरना नहीं चाहिए। इससे आपके बुरे कर्म नष्ट हो जाते हैं। जहाँ आपकी आलोचना और निंदा होती है, वहाँ आपके बुरे कर्म नष्ट हो जाते हैं।
• खुद को भगवान के हवाले कर दो। यह जीवन, जैसा भी है, उन्हीं का दिया हुआ है। आपके पास जो भी साधन और संसाधन हैं, वे सब उनकी कृपा का ही परिणाम हैं। आप जो भी आनंद ले रहे हैं, वह सब भगवान का है। इस विचार के साथ कर्म करो, जीवन जियो, और यह आनंदमय हो जाएगा।
• ब्रह्मचर्य की रक्षा करो। ब्रह्मचर्य महान अमृत तत्व है, मूर्खता के कारण लोग इस पर ध्यान नहीं देते।
प्रेमानन्द महाराज जी के अनमोल विचार
• कोई भी व्यक्ति आपको दुःख नहीं देता; बल्कि आपके कर्म उस व्यक्ति के माध्यम से दुःख के रूप में प्रकट होते हैं।
• क्रोध को शांत करने का केवल एक ही तरीका है… यह सोचने के बजाय कि उनका हमारे प्रति क्या कर्तव्य है, हमें यह सोचना चाहिए कि हमारा उनके प्रति क्या कर्तव्य है।
• भगवान का नाम गिनकर नहीं, बल्कि उसमें डूबकर जपो।
• जिनके मुख भगवान के नाम से रहित हैं, वे जीवित होते हुए भी वाणी से मृत हैं।
• दुखी लोगों को मत सताओ, क्योंकि वे रोएंगे; यदि दु:खियों का प्रभु सुन ले, तो तुम्हारा क्या होगा?
भारतीय संस्कृति की महानता पर प्रेमानन्द जी के विचार
• जीवन की वास्तविक सफलता, सेवा में निहित है।
• परमार्थ के लिए किया गया कार्य ही सच्चा धर्म है। दूसरों की सेवा करना ईश्वर की सेवा के समान है।
• मनुष्य को जीवन में सच्ची शांति और आनंद पाने के लिए साधना और ध्यान का मार्ग अपनाना चाहिए।
• प्रेम वह शक्ति है, जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ती है। सच्चा प्रेम किसी भी जाति, धर्म, या स्थिति का भेद नहीं करता।
• भारतीय संस्कृति का उद्देश्य केवल भौतिक प्रगति नहीं है, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मानवता की सेवा करना है।
• नैतिक मूल्यों जैसे सत्य, अहिंसा, करुणा, और दया को अपनाना ही संस्कृति का वास्तविक पालन है।
• धर्म और संस्कृति एक-दूसरे के पूरक हैं। धर्म मानव को आंतरिक रूप से शुद्ध करता है और संस्कृति उसे बाहरी रूप से सुसंस्कृत बनाती है।
• शिक्षा तभी सार्थक है जब वह व्यक्ति को समाज और संस्कृति के प्रति जागरूक बनाए।
• भारतीय संस्कृति ने हमेशा संयुक्त परिवार प्रणाली को बढ़ावा दिया है, जिसमें प्रेम, सहयोग, और आदर की भावना होती है।
• भारतीय संस्कृति की सार्वभौमिकता और सहिष्णुता इसे अन्य संस्कृतियों से अलग बनाती है।

Author: Shivam Verma
Description