Bareilly News: प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का उद्देश्य देश के हर जरूरतमंद को पक्की छत मुहैया कराना है। केंद्र सरकार की यह महत्त्वाकांक्षी योजना और प्रदेश सरकार का मजबूत समर्थन इसके पीछे है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे काफी अलग नजर आ रही है।
बरेली के मीरगंज विकासखंड के फिरोजपुर गांव की एक महिला पार्वती अपने परिवार के साथ आज भी लकड़ी के ठांचे पर पन्नी डालकर रहने को मजबूर है। योजना की तमाम कोशिशों के बावजूद उसे अब तक पक्का घर नसीब नहीं हुआ है।
अब तक नहीं मिला घर
गांव की रहने वाली पार्वती ने ग्राम सचिव के कहने पर प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। मुख्यमंत्री पोर्टल के ज़रिए अपनी समस्या भी दर्ज करवाई। लेकिन आज तक न तो कोई ग्राम पंचायत अधिकारी और न ही कोई सर्वे टीम उसके घर पहुंची। पार्वती बताती हैं कि उनके घर की हालत देखने वाला कोई नहीं है और योजना के अंतर्गत उन्हें अब घर मिलने की उम्मीद अब धूमिल ही नजर आ रही है।
पार्वती अकेली नहीं हैं। गांव की निर्मला, नेहा, उर्मिला, नसरीन, फरीन और नसीम जहां सहित कई महिलाएं भी इसी समस्या से दो-चार हैं। इन सभी का आरोप है कि वे वर्षों से कच्चे, जर्जर और असुरक्षित घरों में रह रही हैं। इन परिवारों ने भी मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भेजकर मांग की है कि उनके घरों का जल्द से जल्द सर्वे कराया जाए, ताकि वे भी इस योजना का लाभ ले सकें।
गुज़र चुकी सर्वे की अंतिम तारीख
पीड़ित महिलाओं ने बताया कि आवास योजना के तहत सर्वे की अंतिम तिथि 30 अप्रैल थी, जो अब गुजर चुकी है। इसके बावजूद उनके घरों की ओर किसी भी प्रकार की सरकारी कार्यवाही नहीं हुई। इससे यह अंदेशा और गहरा हो गया है कि कहीं उन्हें इस योजना से बाहर न कर दिया जाए।
स्थानीय लोगों का कहना है कि गांव में राजनीतिक मतभेद और पंचायत स्तर पर जो जिम्मेदार हैं उनकी वजह से इस योजना का लाभ सही पात्रों और जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रही है। कुछ परिवारों को जानबूझकर वंचित किया जा रहा है।

Author: Shivam Verma
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