Chandauli News: नौगढ़ तहसील क्षेत्र के चकरघट्टा थाना अंतर्गत दानूगढ़ा जंगल से होकर बहने वाली कर्मनाशा नदी एक बार फिर चर्चा में है। इस बार कारण बेहद चिंताजनक है। नदी में मछलियां मारने के उद्देश्य से जहरीला रसायन डालने का मामला सामने आया है, जिससे न सिर्फ सैकड़ों मछलियों की मौत हो गई, बल्कि आसपास के पर्यावरण और ग्रामीणों की सेहत पर भी गंभीर खतरा मंडराने लगा है।
जहरीले रसायन से नदी में तबाही
यह चौंकाने वाला मामला चकरघट्टा थाना क्षेत्र के दानूगढ़ा गांव के पास कर्मनाशा नदी में सामने आया, जहां स्थानीय तीन व्यक्तियों – कमलेश चौहान, अनिल चौहान और नसुड़ी चौहान – पर आरोप है कि उन्होंने नदी में जानबूझकर जहरीला रसायन डाला। इस रसायन के असर से बड़ी संख्या में मछलियां मारी गईं। ग्रामीणों के मुताबिक, यह काम मछलियों को आसानी से पकड़ने के उद्देश्य से किया गया।
स्थानीय निवासियों ने जब नदी में मरी हुई मछलियों को तैरते देखा, तो पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। ग्रामीणों ने तत्काल इसकी सूचना प्रशासन और पुलिस को दी।
तीनों आरोपियों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा
घटना की गंभीरता को देखते हुए चकरघट्टा पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए तीनों आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 286 (खतरनाक वस्तुओं का लापरवाही से उपयोग), भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 26 (वन क्षेत्र में गैरकानूनी गतिविधि) और वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9/51 (सुरक्षित वन्य जीवों को नुकसान पहुंचाना) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
पुलिस अब मामले की गहराई से जांच कर रही है और आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की प्रक्रिया में जुटी है।
ग्रामीणों में आक्रोश, पर्यावरण पर संकट
कर्मनाशा नदी सिर्फ मछलियों की जीवनरेखा नहीं है, बल्कि आसपास के सैकड़ों गांवों की जीवनधारा भी है। इस नदी के पानी का उपयोग न केवल सिंचाई में, बल्कि घरेलू जरूरतों के लिए भी किया जाता है। ऐसे में जहरीले रसायन के पानी में घुल जाने से ग्रामीणों की सेहत पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि ऐसे अपराधों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई दोबारा इस तरह की हरकत करने की हिम्मत न कर सके।
वन विभाग भी हुआ सतर्क
घटना के बाद वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची और स्थिति का जायजा लिया। विभागीय अधिकारियों ने नदी के पानी के नमूने जांच के लिए भेज दिए हैं, ताकि इस्तेमाल किए गए रसायन की प्रकृति और प्रभाव का पता लगाया जा सके। अधिकारियों का कहना है कि यह मामला वन्य जीव संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के जहरीले रसायन जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं। मछलियों के मरने से खाद्य श्रृंखला बाधित होती है, और इससे अन्य जलीय जीवों के जीवन पर भी असर पड़ता है। दीर्घकालिक प्रभावों में नदी की जैव विविधता में गिरावट और पानी की गुणवत्ता में भारी गिरावट शामिल हो सकती है।

Author: Shivam Verma
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